महाराष्ट्र के पालघर में तीन लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की वारदात का वीडियो फ़ुटेज आने के बाद इसे सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी और हिन्दुत्ववादी संगठनों के लोग सोशल मीडिया के ज़रिए इस पूरे मामले को ‘एक धर्म बनाम दूसरे धर्म’ का मामला साबित करने की कोशिश में हैं। इसे ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ का नतीजा भी बताया जा रहा है।
मामला क्या है
पुलिस का कहना है कि हमलावर स्थानीय लोग थे और उन्होंने यह समझा था कि गाड़ी में कुछ चोर जा रहे हैं।
पालघर पुलिस ने इस मामले में 110 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। इनमें से 9 नाबालिग हैं, जिन्हें बाल गृह भेज दिया गया है। बालिग अभियुक्तों को 30 अप्रैल तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
गिरफ़्तार किए गए लोगों में अधिकतर लोग दहानू तालुका के गढ़चिंचाले गाँव के हैं। इस गाँव में साक्षरता दर सिर्फ 30 प्रतिशत है और अधिकतर लोग औद्योगिक इकाइयों में मज़दूर हैं या खेतिहर मज़दूर हैं। ये तमाम लोग अनुसूचित जनजाति के हैं।सांप्रदायिक रंग
रविवार शाम को ट्विटर पर हैशटैग ‘जस्टिस फ़ॉर हिन्दू साधूज’ (#JusticeforHinduSadhus) ट्रेंड करने लगा। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बिजयंत जाय पान्डा ने ट्वीट किया,
महाराष्ट्र के पालघर में पुलिस की मौजूदगी में मॉब लिन्चिंग का भयावह वीडियो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस वाले और एक डॉक्टर पर हमला किया गया था। मीडिया ने इस मामले को कम कर दिखाया और इसे भूल से डाकू का संदेह कह कर दिखाया, मीडिया ने इस मामले को दबा दिया कि मारे गए लोग हिन्दू पहचान वाले धार्मिक कपड़ों में थे। इस तरह का दोमुहांपन क्यों’
महाराष्ट्र के पालघर में पुलिस की मौजूदगी में मॉब लिन्चिंग का भयावह वीडियो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस वाले और एक डॉक्टर पर हमला किया गया था। मीडिया ने इस मामले को कम कर दिखाया और इसे भूल से डाकू का संदेह कह कर दिखाया, मीडिया ने इस मामले को दबा दिया कि मारे गए लोग हिन्दू पहचान वाले धार्मिक कपड़ों में थे। इस तरह का दोमुहांपन क्यों’
Horrific video of a mob lynching in cops’ presence in #Palghar Maharashtra, run by @OfficeofUT whr a few days ago a cop & doctor had been assaulted.Baijayant Jay Panda (@PandaJay) April 19, 2020
Media downplayed, said “mistaken suspicion as robbers” & suppressed that they were in Hindu religious robes.
Why this hypocrisy
कुछ हिन्दुत्ववादी संगठनों ने इसे ‘मुसलमान एंगल’ भी देने की कोशिश की और संकेतों में यह साबित करना चाहा कि हमला करने वाले मुसलमान थे और हमला इसलिए किया गया कि गाड़ी में भगवा कपड़ों में हिन्दू साधु थे।
सरकार की चेतावनी
सच क्या है
कल्पवृक्ष गिरि ने गेरुआ रंग का गमछा गले में लगा रखा था और इसी आधार पर ट्विटर पर उन्हें ‘हिन्दू साधु’ बता दिया गया।
समाजविज्ञानी कालिदास शिंदे ने ‘द वायर’ से कहा, ‘गोसावी समुदाय में कम से कम 16 उप समुदाय हैं। गिरि उप समुदाय उनमें से एक है और इसके ज़्यादातर लोग किसी न किसी अखाड़ा से जुड़े हुए हैं।’
गोसावी समुदाय पर हमले
यह वारदात भी आदिवासी इलाक़े में ही हुआ था। पुलिस ने कहा था कि अफ़वाह फैलने के कारण स्थानीय लोगों ने यह समझा था कि वे लोग बच्चा चुराने आए हैं और उन पर हमला कर दिया था।
गोसावी समुदाय के लोगों के साथ पहले भी भेदभाव हुए हैं, उनका बहिष्कार किया गया है और उनके साथ हिंसा हुई है। इस समुदाय के लोग महाराष्ट्र में एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं।
लेकिन इस पूरे मामले में दिलचस्प सवाल यह है कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशश क्यों की गई और यह साबित करने की कोशिश क्यों की गई कि एक दूसरे धर्म के लोगों ने हिन्दू साधुओं को पीट-पीट कर मार डाला।
बीजेपी उपाध्यक्ष पान्डा का यह ट्वीट करना कि ‘कुछ दिन पहले ही पुलिस वालों और डॉक्टर पर हमले हुए थे, उनकी मंशा साफ़ करता है।’
अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले पहले भी होते रहे हैं, पर कोरोना संक्रमण के दौरान जिस तरह मुसलमानों को निशाने पर लिया गया है, पालघर वारदात के बाद सोशल मीडिया पर चला अभियान उसका ही हिस्सा है।
तबलीग़ी जमात के बहाने पूरे मुसलिम समुदाय को कोरोना के लिए ज़िम्ममेदार ठहराया जा रहा है और कई जगह उन पर हमले भी हुए हैं। पालघर वारदात उससे अलग नहीं है, उसी का हिस्सा है।
स्व-संतुष्टि जीवन जीने के लायक बनाती है। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहा गरीब और दलितों का एक बड़ा हिस्सा है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक अलग आवश्यकता हो सकती है। जबकि कुछ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं हैं। लेकिन यह सब नहीं है, कुछ लोगों को केवल स्नेह की आवश्यकता हो सकती है, जो लोग मुस्कान देखने के लिए तरस रहे हैं। हम एक आरामदायक जीवन जीने के लिए भाग्यशाली हैं। कितना अच्छा होगा अगर हम उन उदास चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें? उदारता एक आसानी से करने योग्य व्यायाम है। हम सभी को एक बात याद रखनी चाहिए कि दूसरों की मदद करना एक आशीर्वाद है। क्योंकि जब हम दूसरों को बढ़ने में मदद करते हैं, तो हम प्रक्रिया में भी आगे बढ़ते हैं। यह मान और अर्थ हमारे जीवन को जोड़ता है
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