दुनिया भर में छाए कोरोनासंकट के बीच एक के बाद एक प्राकृतिक आपदा के बारे में खबरें आ रही हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों ने 29 अप्रैल यानी आज बुधवार को एक उल्कापिंड के पृथ्वी के काफी करीब से गुजरने का दावा किया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के करीब से कल गुजरने वाला पर्वत समान उल्कापिंड, जिसकी गति 19000 किलोमीटर प्रति घंटा थी ऐसे में कोरोना महामारी के संकट के बीच लोगों डरें हुए थे कि कहीं इससे धरती को कोई नुकसान न हो, कहीं यह धरती से बेहद करीब से गुजरते हुए टकरा न जाए। वैज्ञानिकों ने जो इसके धरती से न टकराने का दावा किया था वो बिलकुल सच हुआ।
वीडियों में देखें वो नजारा
ऑब्जर्वेटरी की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि यह विनाशकारी उल्कापिंडों में से एक है। इसमें एक वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें आप वो नजारा देख सकते हैं जब ये पत्थरनुमा उल्का पिंड धरती के बेहद करीब से गुजरा तो कैसा नजारा दिख रहा था । आप भी देखिए वो सुंदर नजारा
Just a few minutes ago at 11:56 SAST, Asteroid 1998 OR2 passed at a distance of 6.3 million km; 16 Lunar Distances from Earth. At ~2km across it is one of the largest potentially hazardous asteroids known to exist. This video was taken last night by Willie Koorts #1998OR2 pic.twitter.com/ZlNdnh7YhC— SAAO (@SAAO) April 29, 2020
धरती के पास से गुजरते समय क्या कोई आवाज सुनाई दी?
मालूम हो कि इस उल्कापिंड के बारे में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने आज से डेढ़ महीने पहले ही सूचना दी थी । वैज्ञानिकों ने तब दावा किया था कि इस उल्कापिंड का आकार किसी पर्वत के जितना है। साथ ही यह आशंका जताई गई थी कि जिस रफ्तार से यह उल्कापिंड बढ़ रहा है, अगर पृथ्वी की सतह से जरा-सा भी टकराया, तो बड़ी सुनामी आ सकती है। लेकिन नासा के अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने ये बात बताई थी कि इससे घबराने की जरुरत नहीं हैं क्योंकि इसके धरती से टकराने की संभावना न के बराबर हैं। वैज्ञानिकों का ये अनुमान सच निकला और उल्का पिंड धरती से बेहद करीब से गुजरते हुए बिना किसी आहट के आगे निकल गया। इस समय कोई आवाज भी नहीं सुनाई दी
अगले उल्का पिंड के लिए वैज्ञानिकों ने बताई ये बात
जानें उल्का पिंड होते क्या हैं?
काश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए या पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का यानी कि meteor कहा जाता है और उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड यानी कि meteorite कहा जाता है, हर रात को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या बेहद कम होती है।