संयुक्त अरब अमीरात कोरोना वायरस को इस्लाम से जोड़ने के प्रचार पर अपने सख़्त रूख पर कायम है. ख़बरों के अनुसार जिस तरह से कुछ लोग भारत में और विदेशों में रहने वाले भारतीय इस्लामोफोबिया को सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं उससे यूएई और खाड़ी के कुछ देश नाराज़ हैं. इस मसले पर खाड़ी देशों के कुछ ख़ास लोगों ने बाक़यदा सोशल मीडिया पर अपनी राय भी दी थी.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में तीन और भारतीयों को कथित तौर पर इस्लाम से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. एक दिन पहले ही भारतीय राजदूत ने यूएई में रहने वाले भारतीय नागरिकों को चेतावनी दी थी कि वे कोई भी भड़काऊ सामग्री को ऑनलाइन पोस्ट ना करें.
गल्फ न्यूज ने शनिवार (2 मई) को बताया कि शेफ रोहित रावत, स्टोर कीपर सचिन किनिगोली और एक कैश कस्टोडियन (नकद पैसों की देखरेख करने वाले), जिसकी पहचान कंपनी ने नहीं बताई है. अब उन 10 भारतीयों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिन्हें अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
इस्लामोफोबिक सोशल मीडिया पोस्ट के मुद्दे सामने आने के बाद 20 अप्रैल को भारतीय राजदूत पवन कपूर ने ऐसे व्यवहार के खिलाफ यूएई में रहने वाले भारतीय प्रवासियों को चेतावनी दी थी. खास तौर पर कोरोना वायरस महामारी के साथ इस्लाम को जोड़ने वाले कंटेंट. ऐसे कुछ मामले कई पश्चिम एशियाई देशों में भी सामने आए हैं.
कपूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अन्य ट्वीट के हवाले से कहा, "भारत और यूएई किसी भी आधार पर भेदभाव जैसे मूल्य साझा नहीं करते हैं. भेदभाव हमारे नैतिक ताने-बाने और कानून के नियम के खिलाफ है. यूएई में रहने वाले भारतीय नागरिकों को हमेशा यह याद रखना चाहिए." दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस किसी पर हमला करने से पहले जाति, धर्म, रंग, पंथ, भाषा या सीमा नहीं देखता है.
ओमान में रह रहे भारतीय लोगों पर बड़ी तादाद में नौकरी जाने का संकट मंडराने लगा है। ओमान सरकार ने कंपनियों में विदेशी लोगों की जगह अपने नागरिकों की नौकरी पर रखने के लिए आदेश जारी किए हैं। ओमान के वित्त मंत्रालय ने देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि वह अपने यहां विदेशी नागरिकों की जगह ओमानी नागरिकों को भर्ती करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
कंपनियों को 2021 तक प्रबंधकीय पदों समेत अन्य पदों पर विदेशी कर्मचारियों के स्थान पर योग्य ओमानियों को नियुक्त करने के लिए कहा गया है। सरकार के इस फैसले के बाद ओमान में रह रहे भारतीयों के बड़ी संख्या में प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।
ओमान में लगभग 7.7 लाख भारतीय हैं, जिनमें से 6.55 लाख कामगार या पेशेवर लोग हैं। यह भारतीय ओमान की कुल आबादी 46 लाख का करीब 17 फीसदी हैं। ओमान में विदेशी नागरिकों की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक है। अरब देशों में करीब 2.5 करोड़ विदेशी नागरिक हैं, जिनमें ज्यादातर एशियाई हैं।
अपने नागरिकों को नौकरी पर रखने के आदेश के साथ सरकार ने कहा है कि यह काम तेजी से और संगठित ढंग से किया जाना है। सरकार ने यह कदम तेल की कीमतों में गिरावट और कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते बेरोजगारी बढ़ने की आशंका को लेकर उठाया है।
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट से तेल समृद्ध क्षेत्र को कड़ी चोट लगी है। ऐसे में खाड़ी के ज्यादातर देशों ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में विदेशियों पर अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने के लिए कानून पेश किया है।
ओमान में रह रहे भारतीय लोगों पर बड़ी तादाद में नौकरी जाने का संकट मंडराने लगा है। ओमान सरकार ने कंपनियों में विदेशी लोगों की जगह अपने नागरिकों की नौकरी पर रखने के लिए आदेश जारी किए हैं। ओमान के वित्त मंत्रालय ने देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि वह अपने यहां विदेशी नागरिकों की जगह ओमानी नागरिकों को भर्ती करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
कंपनियों को 2021 तक प्रबंधकीय पदों समेत अन्य पदों पर विदेशी कर्मचारियों के स्थान पर योग्य ओमानियों को नियुक्त करने के लिए कहा गया है। सरकार के इस फैसले के बाद ओमान में रह रहे भारतीयों के बड़ी संख्या में प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।
ओमान में लगभग 7.7 लाख भारतीय हैं, जिनमें से 6.55 लाख कामगार या पेशेवर लोग हैं। यह भारतीय ओमान की कुल आबादी 46 लाख का करीब 17 फीसदी हैं। ओमान में विदेशी नागरिकों की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक है। अरब देशों में करीब 2.5 करोड़ विदेशी नागरिक हैं, जिनमें ज्यादातर एशियाई हैं।
अपने नागरिकों को नौकरी पर रखने के आदेश के साथ सरकार ने कहा है कि यह काम तेजी से और संगठित ढंग से किया जाना है। सरकार ने यह कदम तेल की कीमतों में गिरावट और कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते बेरोजगारी बढ़ने की आशंका को लेकर उठाया है।
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट से तेल समृद्ध क्षेत्र को कड़ी चोट लगी है। ऐसे में खाड़ी के ज्यादातर देशों ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में विदेशियों पर अपने नागरिकों को प्राथमिकता देने के लिए कानून पेश किया है।